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शनि अमावस्या में क्या करे ..

KAUSHAL PANDEY
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शनि अमावस्या :- कौशल पाण्डेय :- 09968550003 ,09310134773
24 दिसम्बर को शनि अमावस्या है। इस दिन शनि देव का पूजन सभी मनोकामनाएं पूरी करता है। सा़ढ़ेसाती व ढैया प्रभावित जातक शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव का विधिवत पूजन कर पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं क्रूर नहीं कल्याणकारी हैं शनि। इस दिन विशेष अनुष्ठानों से पितृदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पा सकता है। इसके अलावा शनि का पूजन और तैलाभिषेक कर शनि की साढेसाती, ढैय्या और महादशा जनित संकट और आपदाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है, इसलिए शनैश्चरी अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध जरूर करना चाहिए। यदि पितरों का प्रकोप न हो तो भी इस दिन किया गया श्राद्ध आने वाले समय में मनुष्य को हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है, क्योंकि शनिदेव की अनुकंपा से पितरों का उद्धार बडी सहजता से हो जाता है।
सूर्य पुत्र शनि देव का नाम सुनकर लोग सहम से जाते है लेकिन हिसा कुछ नहीं है ,बेसक शनि देव की गिनती अशुभ ग्रहों में होती है लेकिन शनि देव इन्शान के कर्मो के अनुसार ही फल देते है , शनि बुर कर्मो का दंड भी देते है।शनि उच्चा राशी तुला में प्रवेश कर रहे है , जिनकी कुंडली में शनि तुला राशी गत है जिस भाव में बैठा है उस भाव सम्बन्धी कार्यों में वृद्धि करेगा जब शनि तुला राशी में सूर्य के साथ युति होने के कारण राजनितिक लोंगे के लिए अशुभ फल देगा , वाद-विवाद में बढ़ोत्तरी होगी , धातु की बढ़ोत्तरी होगी , भारतीय राजनीती में बहुत ज्यादा उतर चढाव देखने को मिलेगा , जिनका शनि अच्चा होगा भिखारी से रजा बन जायेगा और जिनका अशुभ होगा रजा से भिखारी बनते देर नहीं लगेगी , जिनकी कुंडली में शनि तुला राशी गत है जिस भाव में बैठा है उस भाव सम्बन्धी कार्यों में वृद्धि करेगा , यदि शनि लग्न , केंद्र या त्रिकोण में है या अपनी उच्चा राशी में स्वग्रही या मित्र राशी में है तो अपनी दशा अन्तर्दशा में शुभ फल प्रदान करेगा , मानसगरी ग्रन्थ के अनुसार शनि देव के शुक्र बुध मित्र. बृहस्पति सम. शेष शत्रु हैं ।

शनिदेव को परमपिता परमात्मा के जगदाधार स्वरूप कच्छप का ग्रहावतार और कूर्मावतार भी कहा गया है। वह महर्षि कश्यप के पुत्र सूर्यदेव की संतान हैं। उनकी माता का नाम छाया है। इनके भाई मनु सावर्णि, यमराज, अश्वनी कुमार और बहन का नाम यमुना और भद्रा है। उनके गुरु शिवजी हैं और उनके मित्र हैं काल भैरव, हनुमान जी, बुध और राहु। ग्रहों के मुख्य नियंत्रक हैं शनि। उन्हें ग्रहों के न्यायाधीश मंडल का प्रधान न्यायाधीश कहा जाता है। शनिदेव के निर्णय के अनुसार ही सभी ग्रह मनुष्य को शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं। न्यायाधीश होने के नाते शनिदेव किसी को भी अपनी झोली से कुछ नहीं देते। वह तो शुभ-अशुभ कर्मो के आधार पर मनुष्य को समय-समय पर वैसा ही फल देते हैं जैसे उन्होंने कर्म किया होता है।धन-वैभव, मान-समान और ज्ञान आदि की प्राप्ति देवों और ऋषियों की अनुकंपा से होती है जबकि आरोग्य लाभ, पुष्टि और वंश वृद्धि के लिए पितरों का अनुग्रह जरूरी है। शनि एक न्यायप्रिय ग्रह हैं। शनिदेव अपने भक्तों को भय से मुक्ति दिलाते हैं।

शनिश्चरी अमावस्या में क्या करे :-
जिन जातक की जन्म कुंडली या राशियों पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव है वे इसकी शांति व अच्छे फल प्राप्त करने के लिए 24 दिसंबर को पड़ने वाली शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव का विधिवत पूजन कर पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं।

*पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और उनके दर्शन करे ।
*श्री शनिदेव का आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें- ह्रीं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।। ह्रीं बीजमय, नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥
*शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है ‘ शनि मंत्र –ॐ शं शनैश्चराय नम:,इस मंत्र का जाप करे .इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।
*शनिदेव की दशा में अनुकूल फल प्राप्ति कराने वाला मंत्र ( ओम् प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:)
*श्री शनिदेव का अदभुद वैदिक मंत्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥
* इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।
* शनिश्चरी अमावस्या को सुबह या शाम शनि चालीसा का पाठ या हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ करें।
*. पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज और सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
*. तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें और पक्षियों को खिलाएं .
*. शनि अमावस्या के दिन बरगद के पेड की जड में गाय का कच्चा दूध चढाकर उस मिट्टी से तिलक करें। अवश्य धन प्राप्ति होगी।
* शनि अमावस्या के दिन संपूर्ण श्रद्धा भाव से पवित्र करके घोडे की नाल या नाव की पेंदी की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।
* शनि अमावस्या के दिन 108 बेलपत्र की माला भगवान शिव के शिवलिंग पर चढाए। साथ ही अपने गले में गौरी शंकर रुद्राक्ष 7 दानें लाल धागें में धारण करें।
* जिनके ऊपर शनि की अशुभ दशा हो ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करे

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