- 46 Posts
- 18 Comments
करवा चौथ :- कौशल पाण्डेय
करवा चौथ शुक्रवार 2 नवम्बर 2012 को है ,यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी को किया जाता है।विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने पति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की कामना करके चंद्र देवता को अघ्र्य अर्पित कर व्रत को पूर्ण करती हैं। नव विवाहिताएं विवाह के पहले वर्ष से ही यह व्रत प्रारंभ करती हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है। इस दिन निर्जल व्रत रखकर चंद्र दर्शन और चंद्रमा को अघ्र्य अर्पण कर भोजन ग्रहण करना चाहिए।
वास्तव में करवा चैथ का व्रत भारतीय संस्कृति के उस पवित्र बंधन या प्यार का प्रतीक है जो पति पत्नी के बीच होता है। भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर माना गया है। यह व्रत पति पत्नी दोनों के लिए एक दूसरे के प्रति हर्ष, प्रसन्नता, अपार प्रेम, त्याग एवं उत्सर्ग की चेतना लेकर आता है। इस दिन स्त्रियां नव वधू की भांति पूर्ण शृंगार कर सुहागिन के स्वरूप में रमण करती हुई भगवान रजनीश से अपने अखंड सुहाग की प्रार्थना करती हैं।
स्त्रियां शृंगार करके ईश्वर के समक्ष व्रत के बाद यह प्रण भी करती हैं कि वे मन, वचन एवं कर्म से पति के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखेंगी तथा धर्म के मार्ग का अनुसरण करती हुई धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों को प्राप्त करेंगी।
कुंआरी कन्याएं इस दिन गौरा देवी का पूजन करती हैं। शिव पार्वती के पूजन का विधान इसलिए भी है कि जिस प्रकार शैलपुत्री पार्वती ने घोर तपस्या करके भगवान शंकर को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया वैसा ही सौभाग्य उन्हें भी प्राप्त हो।
इस संदर्भ में एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार पांडवों के बनवास के समय जब अर्जुन तप करने इंद्रनील पर्वत की ओर चले गए तो बहुत दिनों तक उनके वापस न लौटने पर द्रौपदी को चिंता हुई।श्रीकृष्ण ने आकर द्रौपदी की चिंता दूर करते हुए करवा चैथ का व्रत बताया तथा इस संबंध में जो कथा शिवजी ने पार्वती को सुनाई थी, वह भी सुनाई।
कथा इस प्रकार है। इंद्रप्रस्थ नगरी में वेद शर्मा नामक एक विद्वान ब्राह्मण के सात पुत्र तथा एक पुत्री थी जिसका नाम वीरावती था। उसका विवाह सुदर्शन नामक एक ब्राह्मण के साथ हुआ। ब्राह्मण के सभी पुत्र विवाहित थे। एक बार करवा चैथ के व्रत के समय वीरावती की भाभियों ने तो पूर्ण विधि से व्रत किया, किंतु वीरावती सारा दिन निर्जल रहकर भूख न सह सकी तथा निढाल होकर बैठ गई। बहन को जल्दी खाना खिलाने के लिए उसके भाइयों ने बाहर खेतों में जाकर आग जलाई तथा ऊपर कपड़ा तानकर चंद्रमा जैसा दृश्य बना दिया और जाकर बहन से कहा कि चांद निकल आया है, अघ्र्य दे दो। यह सुनकर वीरावती ने अघ्र्य देकर खाना खा लिया। नकली चंद्रमा को अघ्र्य देने से उसका व्रत खंडित हो गया तथा उसका पति अचानक बीमार पड़ गया। वह ठीक न हो सका। एक बार इंद्र की पत्नी इंद्राणी करवा चैथ का व्रत करने पृथ्वी पर आईं। इसका पता लगने पर वीरावती ने जाकर इंद्राणी से प्रार्थना की कि उसके पति के ठीक होने का उपाय बताएं। इंद्राणी ने कहा कि तेरे पति की यह दशा तेरी ओर से रखे गए करवा चैथ व्रत के खंडित हो जाने के कारण हुई है। यदि तू करवा चैथ का व्रत पूर्ण विधि-विधान से फिर से करेगी तो तेरा पति ठीक हो जाएगा। वीरावती ने करवा चैथ का व्रत पूर्ण विधि से संपन्न किया जिसके फलस्वरूप उसका पति बिलकुल ठीक हो गया। करवा चैथ का व्रत उसी समय से प्रचलित है। अतः सौभाग्य, पुत्र-पौत्रादि और धन-धान्य के इच्छुक स्त्रियों को यह व्रत विधिपूर्वक करना चाहिए.
पति -पत्नी का रिश्ता ऐसा होना चाहिए की शरीर दो लेकिन जान एक ही होनी चाहिए ..
क्या करे की पति का प्रेम हमेशा बना रहे :- शास्त्र कहते है की स्त्री का मुख्य कर्तव्य उसके पति की सेवा से जुडा हुआ है. महिलाये चाहे जितना जप तप पूजा -पाठ या इश्वर भक्ति कर ले अगर उनका पति उनके प्रेम से प्रसन्न नहीं है या पत्नी पति की बात अनदेखी करती है तो पूजा पाठ सब व्यर्थ है ..
सर्वप्रथम अपने पति को खुश रखे , साथ ही पति का भी कर्तव्य बनता है की वो भी अपनी भार्या का ध्यान रखे ..
प्रातः काल उठते ही जो पत्नी अपने पति के पैर छू कर आशीर्वाद लेती है वह सदा सुहागन रहती है ,
जो महिलाये पति धर्म का जीवन में पालन करती है, तो वह निर्वाह किया हुआ धर्म सभी संकटों में उसकी रक्षा करेगा। धर्मो रक्षति रक्षितः। जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है। अतः स्वप्न में भी पराये पुरुष के संपर्क में ना आये ..
नारी के लिए पति को ही ब्रह्मा, विष्णु और शिव से अधिक माना गया है। उसके लिए अपना पति ही शिवरूप है। जो स्त्री पति के कुछ कहने पर क्रोधपूर्वक कठोर उत्तर देती है, वह इस जीवन में सुख नहीं भोग पाती है .
जो पति को तू कहकर बोलती है, वह अगले जन्म में गूंगी होती है।
जो स्त्री पति की आंख बचाकर दूसरे पुरुष पर दृष्टि डालती है वह कानी, टेढ़े मुंहवाली तथा कुरूपा होती है। जो दुराचारिणी स्त्रियां अपना शील भंग कर देती हैं, वे अपने माता-पिता और पति तीनों कुलों को नीचे गिराती हैं और परलोक में दुख भोगती हैं।
जैसे जैसे समय बदल रहा है वैसे ही समाज में लोगों की मानसिकता भी बदल रही है आज स्त्री का पतिव्रता होना आज के युग में दुर्लभ हो चला है। भारतवर्ष के धराधाम में हजारों ऐसी महिलाएँ हुई हैं जिनकी पतिव्रता पालन की मिसाल दी जाती है, लेकिन उनमें से भी कुछ ऐसी हैं जिनका नाम इतिहास के पन्नो में लिखा जा चूका हैं। जैसे ..
अहिल्या द्रौपदी सीता तारा मंदोदरी तथा । पंचकन्या ना स्मरेन्नित्यं महापातकनाशनम् ।।
जो संस्कृत में ना बोल सके सो हिंदी में इन पवित्र आत्माओं का नाम लेकर स्वयं इनके नाम के प्रताब का अनुभव कर सकती है ..
अहिल्या , द्रौपदी , सीता, तारा, मंदोदरी
सनातन धर्म में स्त्री को शक्ति और लक्ष्मी स्वरूपा माना गया है, हिन्दू धर्म में स्त्री के बारे में कहा गया है कि:-
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: |यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया: ।
अर्थात, जहां पर स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता रमते हैं ,जहाँ उनकी पूजा नहीं होती, वहाँ सब काम निष्फल होते हैं ।
भारतीय महिलाये ऐसा ना करे :-
आज के इस विलासिता के युग में स्त्री धर्म निभाना ही बहुत कठिन है , क्योंकी ताली दोनों हाँथ से बजती है पत्नी के साथ पति को भी अपनी स्त्री को पूरा सहयोग देना चाहिए , भारतीय महिलाये इन बातों का ध्यान रखे तो उनका घर कभी ख़राब नहीं होगा जैसे ..
जो स्त्री हमेशा पति के खिलाफ़ काम करती है , पति को कटु व कठोर बोल बोलती है , पति को तरह-तरह से दु:ख देती है , लज्जाहीन स्त्री, झगड़ालू, गुस्सैल
चिढ़चिढ़ी और निर्मम , बड़ों का अपमान करने वाली , घर में सास , ससुर की सेवा न करने वाली . आलसी और अस्वच्छ रहने वाली, वाचाल यानी ज्यादा बोलने वाली
घर का सामान इधर-उधर फेंकने वाली , अधिक सोने वाली, घर को अस्त-व्यस्त रखने वाली, अनजान लोगों से अनावश्यक बात करने वाली , पति का घर छोड़कर दूसरों के घर में रहना पसंद करे, परपुरुष को पसंद करे ऐसा न करे .
आज आप को समाज में माँ , सास ,बेटी ,बहन , पत्नी का दर्जा मिला हुआ है .. जो व्यवहार आज आप दूसरों के लिए कर रही है वैसे कल आप के साथ भी हो सकता है , अतः अपने मान , सम्मान और धर्म का पालन करते हुए इस संसार के सुख भोगे .. जय माँ भवानी ..
लिखने में कुछ त्रुटी हो तो क्षमा करना … आप का कौशल पाण्डेय 0996550003
Read Comments