Menu
blogid : 2748 postid : 130

लाल किताब के उपाय कैसे और कब करे

KAUSHAL PANDEY
KAUSHAL PANDEY
  • 46 Posts
  • 18 Comments

लाल किताब के उपाय कैसे और कब करे :पंडित कौशल पाण्डेय 09968550003

लाल किताब के उपाय कृपया दिन में ही करे एक उपाय पूरा हो जाने के बाद ही दूसरा उपाय करे .
उपाय कम से कम 43 दिन लगातार करे .उपाय करने में सावधानी जरुर बरते ..बिना उचित सलाह के कोई उपाय आप को और मुस्किल में डाल सकता है .

वर्तमान समय में ज्योतिष के अन्दर आज सबसे ज्यादा चर्चित नाम लाल किताब का है। सामान्यतः इसे सरल व साधारण उपायों के लिए जाना जाता है।परंतु यह सत्य नहीं है, जब किस्मत ख़राब होती है तब इन्शान को 1 छोटा सा उपाय भी पहाड़ जैसा दीखता है .

प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में कष्टों के निवारण के उपायों को भली प्रकार समझाया गया है, जिसमें लग्नेश तथा लग्न के लिए शुभ ग्रहों का रत्न धारण करना, अनिष्टकारी ग्रहों की शांति के लिए उनका पूजन, मंत्र जप, हवन और ग्रह संबंधित वस्तुओं के दान का उल्लेख होता है।

जीवन के कष्टों को दो भागों में बांटा गया है। एक वे जिनको उपायों द्वारा शांत किया जा सकता है, और दूसरे वे जिनका भोग कर ही निवारण होता है। यह कुंडली के अध्ययन से ज्ञात होता है।
कुछ आम उपाय है जिसे कोई भी कर सकता है जैसे :-
1. सांसारिक सुखों के लिए गाय, कुत्ते एवं कौवे को अपने भोजन में से हिस्सा देना।
2. परेशानी से बचने के लिए सूखा नारियल जल प्रवाह करना।
3. बीमारी से बचने के लिए कभी कभी पका हुआ पीला कद्दू मंदिर में दान करना आदि।
4.गाय , कुत्ता , कौवा को नियमित भोजन देने से पारिवारिक सुख शांति बनी रहती है ..

दूसरे किस्म के उपाय वह हैं जो कुछ घंटों के अंदर-अंदर अपना असर दिखा देते है उन्हें थोडा सावधानी से करना चाहिए जैसे लग्न कुंडली में किसी भाव में कौन सा ग्रह अशुभ है , उस भाव का कारक ग्रह कौन है और उपाय कहाँ करे आइये देखते है जैसे :-
लाल किताब के अनुसार जिस ग्रह से संबंधित वस्‍तुओं को
– प्रथम भाव में पहुंचाना हो उसे गले में पहनिए
– दूसरे भाव में पहुंचाने के लिए मंदिर में रखिए
– तीसरे भाव में पहुंचाने के लिए संबंधित वस्‍तु को हाथ में धारण करें
– चौथे भाव में पहुंचाने के लिए पानी में बहाएं
– पांचवे भाव के लिए स्‍कूल में पहुंचाएं,
– छठे भाव में पहुंचाने के लिए कुएं में डालें
– सातवें भाव के लिए धरती में दबाएं
– आठवें भाव के लिए श्‍मशान में दबाएं
– नौंवे भाव के लिए मंदिर में दें
– दसवें भाव के लिए पिता या सरकारी भवन को दें
– ग्‍यारहवें भाव का उपाय नहीं
और बारहवें भाव के लिए ग्रह से संबंधित चीजें छत पर रखें।

प्रत्येक जातक की कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति अलग-अलग रहती है, परंतु कुछ कर्मों के आधार पर भी ग्रह आपको अशुभ फल देते हैं। व्यक्ति के कर्म-कुकर्म के द्वारा किस प्रकार नवग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं, आइए जानते हैं :
चंद्र : सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देने जैसे, माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट देने एवं किसी से द्वेषपूर्वक ली वस्तु के कारण चंद्रमा अशुभ फल देता है।
बुध : अपनी बहन अथवा बेटी को कष्ट देने एवं बुआ को कष्ट देने, साली एवं मौसी को कष्ट देने से बुध अशुभ फल देता है। इसी के साथ हिजड़े को कष्ट देने पर भी बुध अशुभ फल देता है।
गुरु : अपने पिता, दादा, नाना को कष्ट देने अथवा इनके समान सम्मानित व्यक्ति को कष्ट देने एवं साधु संतों को कष्ट देने से गुरु अशुभ फल देता है।
सूर्य : किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने एवं किसी भी जीव की आत्मा को ठेस पहुँचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है।
शुक्र : अपने जीवनसाथी को कष्ट देने, किसी भी प्रकार के गंदे वस्त्र पहनने, घर में गंदे एवं फटे पुराने वस्त्र रखने से शुभ-अशुभ फल देता है।
मंगल : भाई से झगड़ा करने, भाई के साथ धोखा करने से मंगल के अशुभ फल शुरू हो जाते हैं। इसी के साथ अपनी पत्नी के भाई (साले) का अपमान करने पर भी मंगल अशुभ फल देता है।
शनि : ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने एवं इसी के साथ शराब, माँस खाने पीने से शनि देव अशुभ फल देते हैं। कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।
राहु : राहु सर्प का ही रूप है अत: सपेरे का दिल ‍दुखाने से, बड़े भाई को कष्ट देने से अथवा बड़े भाई का अपमान करने से, ननिहाल पक्ष वालों का अपमान करने से राहु अशुभ फल देता है।
केतु : भतीजे एवं भांजे का दिल दुखाने एवं उनका हक ‍छीनने पर केतु अशुभ फल देना है। कुत्ते को मारने एवं किसी के द्वारा मरवाने पर, किसी भी मंदिर को तोड़ने अथवा ध्वजा नष्ट करने पर इसी के साथ ज्यादा कंजूसी करने पर केतु अशुभ फल देता है। किसी से धोखा करने व झूठी गवाही देने पर भी राहु-केतु अशुभ फल देते हैं।
अत: मनुष्य को अपना जीवन व्यवस्‍िथत जीना चाहिए। किसी को कष्ट या छल-कपट द्वारा अपनी रोजी नहीं चलानी चाहिए। किसी भी प्राणी को अपने अधीन नहीं समझना चाहिए जिससे ग्रहों के अशुभ कष्ट सहना पड़े।

टोटके :-
जैसे यदि अशुभ शनि षष्ठ भाव (पाताल) में स्थिति होकर अत्यंत कष्टकारी हो तो शनि की वस्तु सरसों के तेल को मिट्टी के बर्तन (बुध-षष्ठ राशीश) में भरकर और उसका ढक्कन अच्छी तरह बंद कर, किसी तालाब के किनारे (शुक्र स्थान, जो शनि का मित्र है) गाड़ देने से शनि शांत हो जाता है और इस तरह कष्टों का निवारण हो जाता है।

थोड़े अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए संबद्ध ग्रह से संबंधित वस्तु को चलते पानी में बहाना, अर्थात् कष्टों को दूर करना।
जैसे यदि राहु अष्टम भाव (शमशान) में अचानक बाधाएं दे रहा हो तो सीसा धातु (राहु) के 100 ग्राम वजन के आठ टुकड़े
(शनि अष्टम भाव का कारक ग्रह) – प्रतिदिन एक टुकड़ा बहते पानी में प्रवाहित करने से राहु जनित पीड़ा की शांति होती है।

थोड़ा शुभ और थोड़ा अशुभकारी ग्रह को पूर्ण शुभकारी बनाने के लिए उसके मित्र ग्रह को प्रसन्न कर उसकी सहायता लेना जैसे यदि षष्ठ भाव (पाताल) में केतु बुरा फल दे रहा हो तो जातक को छोटी उंगली (बुध) में सोने (बृहस्पति) की अंगूठी (बुध) पहनने से षष्ठ राशीश बुध और बृहस्पति (केतु के गुरु) प्रसन्न होकर केतु पर अंकुश रखते हैं। थोड़े अशुभ ग्रह के प्रभाव को खत्म करने के लिए उस ग्रह के परम शत्रु की वस्तु अपने पास रखना।

जैसे अष्टम भाव स्थित मंगल के थोड़े अशुभ प्रभाव को समाप्त करने के लिए हाथी दांत (राहु-मंगल का शत्रु) की कोई वस्तु अपने पास रखनी चाहिए।

किसी शुभ ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए संबंधित वस्तु को उसके दूसरे कारक को अर्पित करना। जैसे
बृहस्पति की अशुभता दूर करने के लिए चने की कच्ची दाल (बृहस्पति की वस्तु) मंदिर (धर्म स्थान-बृहस्पति) में चढ़ानी चाहिए। परंतु मंदिर में कोई वस्तु चढ़ाने से पहले यह देख लेना आवश्यक है कि कुंडली के दूसरे भाव (धर्म स्थान) में उस ग्रह का शत्रु स्थित न हो, अन्यथा नुकसान होगा। ग्रह के इष्ट देव की आराधना करना। जैसे

यदि षष्ठ भाव (पाताल) स्थित राहु समझ न आने वाला रोग दे रहा हो तो नीले फूलों (राहु की वस्तु) से देवी सरस्वती (राहु की इष्ट देवी) की पूजा आराधना करनी चाहिए, इससे रोग से छुटकारा मिलता है। दो अशुभ ग्रहों का झगड़ा मिटाने के लिए उनके मित्र ग्रह को उनके बीच में स्थापित करना। जैसे शनि और सूर्य (विपरीत स्वभावी ग्रह) षष्ठ भाव (पाताल) में स्थित होकर अशुभ प्रभाव डालते हों, तो उनके साथ में बुध को (जो सूर्य और शनि दोनों का मित्र है) स्थापित करने के लिए घर में फूलों वाले पौधे (बुध की वस्तु) लगाने चाहिए।

उपाय के लिये विशेष नियम ग्रहों के दुष्प्रभाव शीघ्र दूर करने के लिए 43 दिन तक प्रतिदिन उपाय करने चाहिए। यदि बीच में प्रयोग खंडित हो जाए तो फिर से शुरू करें। ये उपाय दिन के समय करने चाहिए। एक दिन में केवल एक ही उपाय करना चाहिए। स जातक के असमर्थ होने पर खून के रिश्ते वाला कोई व्यक्ति उसके नाम से यह उपाय कर सकता है।

क्या नहीं करें-
सूर्य ग्रह कुंडली में बलवान होने पर- जातक को सूर्य की वस्तुएं सोना, गेहूं, गुड़ व तांबे का दान नहीं करना चाहिए अन्यथा सूर्य निर्बल हो जायेगा।
चंद्र बलवान होने पर- चांदी, मोती, चावल आदि (चंद्र की वस्तुएं) उपहार या दान में नहीं देने चाहिए।
मंगल बलवान होने पर- मिठाई, गुड़, शहद आदि मंगल की वस्तुएं दूसरों को न तो देने चाहिए न ही खिलाने चाहिए।
बुध बलवान होने पर- कलम का उपहार नहीं देना चाहिए।
बृहस्पति बलवान होन पर- पुस्तकों का उपहार नहीं देना चाहिए।
शुक्र बलवान होने पर- सिले हुए सुंदर वस्त्र, सेंट (परफ्यूम) और आभूषण उपहार में नहीं देने चाहिए।
शनि बलवान होने पर- शनि की वस्तु शराब दूसरों को नहीं पिलानी चाहिए।
राहु को बलवान करने के लिए जातक को सीसे (राहु की वस्तु) की गोली अपने पास रखनी चाहिए।
केतु को बलवान करने के लिए कुत्ता (केतु का कारक) पालना चाहिए।

इन सरल उपायों का आवश्यकतानुसार श्रद्धापूर्वक पालन करने से जातक को ग्रह जनित पीडा़ से मुक्ति मिलती है और जीवन सुखमय होता है।
अधिक जानकारी के लिए मिले या संपर्क करे :- पंडित कौशल पाण्डेय 09968550003

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh